< أعمال 7 >

فَقَالَ رَئِيسُ ٱلْكَهَنَةِ: «أَتُرَى هَذِهِ ٱلْأُمُورُ هَكَذَا هِيَ؟». ١ 1
तब महायाजक ने कहा, “क्या ये बातें सत्य है?”
فَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ وَٱلْآبَاءُ، ٱسْمَعُوا! ظَهَرَ إِلَهُ ٱلْمَجْدِ لِأَبِينَا إِبْرَاهِيمَ وَهُوَ فِي مَا بَيْنَ ٱلنَّهْرَيْنِ، قَبْلَمَا سَكَنَ في حَارَانِ، ٢ 2
उसने कहा, “हे भाइयों, और पिताओं सुनो, हमारा पिता अब्राहम हारान में बसने से पहले जब मेसोपोटामिया में था; तो तेजोमय परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया।
وَقَالَ لَهُ: ٱخْرُجْ مِنْ أَرْضِكَ وَمِنْ عَشِيرَتِكَ، وَهَلُمَّ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أُرِيكَ. ٣ 3
और उससे कहा, ‘तू अपने देश और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देश में चला जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा।’
فَخَرَجَ حِينَئِذٍ مِنْ أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ وَسَكَنَ فِي حَارَانَ. وَمِنْ هُنَاكَ نَقَلَهُ، بَعْدَ مَا مَاتَ أَبُوهُ، إِلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتُمُ ٱلْآنَ سَاكِنُونَ فِيهَا. ٤ 4
तब वह कसदियों के देश से निकलकर हारान में जा बसा; और उसके पिता की मृत्यु के बाद परमेश्वर ने उसको वहाँ से इस देश में लाकर बसाया जिसमें अब तुम बसते हो,
وَلَمْ يُعْطِهِ فِيهَا مِيرَاثًا وَلَا وَطْأَةَ قَدَمٍ، وَلَكِنْ وَعَدَ أَنْ يُعْطِيَهَا مُلْكًا لَهُ وَلِنَسْلِهِ مِنْ بَعْدِهِ، وَلَمْ يَكُنْ لَهُ بَعْدُ وَلَدٌ. ٥ 5
और परमेश्वर ने उसको कुछ विरासत न दी, वरन् पैर रखने भर की भी उसमें जगह न दी, यद्यपि उस समय उसके कोई पुत्र भी न था। फिर भी प्रतिज्ञा की, ‘मैं यह देश, तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूँगा।’
وَتَكَلَّمَ ٱللهُ هَكَذَا: أَنْ يَكُونَ نَسْلُهُ مُتَغَرِّبًا فِي أَرْضٍ غَرِيبَةٍ، فَيَسْتَعْبِدُونَهُ وَيُسِيئُوا إِلَيْهِ أَرْبَعَ مِئَةِ سَنَةٍ، ٦ 6
और परमेश्वर ने यह कहा, ‘तेरी सन्तान के लोग पराए देश में परदेशी होंगे, और वे उन्हें दास बनाएँगे, और चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे।’
وَٱلْأُمَّةُ ٱلَّتِي يُسْتَعْبَدُونَ لَهَا سَأَدِينُهَا أَنَا، يَقُولُ ٱللهُ. وَبَعْدَ ذَلِكَ يَخْرُجُونَ وَيَعْبُدُونَنِي فِي هَذَا ٱلْمَكَانِ. ٧ 7
फिर परमेश्वर ने कहा, ‘जिस जाति के वे दास होंगे, उसको मैं दण्ड दूँगा; और इसके बाद वे निकलकर इसी जगह मेरी सेवा करेंगे।’
وَأَعْطَاهُ عَهْدَ ٱلْخِتَانِ، وَهَكَذَا وَلَدَ إِسْحَاقَ وَخَتَنَهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ. وَإِسْحَاقُ وَلَدَ يَعْقُوبَ، وَيَعْقُوبُ وَلَدَ رُؤَسَاءَ ٱلْآبَاءِ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ. ٨ 8
और उसने उससे खतने की वाचा बाँधी; और इसी दशा में इसहाक उससे उत्पन्न हुआ; और आठवें दिन उसका खतना किया गया; और इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्पन्न हुए।
وَرُؤَسَاءُ ٱلْآبَاءِ حَسَدُوا يُوسُفَ وَبَاعُوهُ إِلَى مِصْرَ، وَكَانَ ٱللهُ مَعَهُ، ٩ 9
“और कुलपतियों ने यूसुफ से ईर्ष्या करके उसे मिस्र देश जानेवालों के हाथ बेचा; परन्तु परमेश्वर उसके साथ था।
وَأَنْقَذَهُ مِنْ جَمِيعِ ضِيقَاتِهِ، وَأَعْطَاهُ نِعْمَةً وَحِكْمَةً أَمَامَ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ، فَأَقَامَهُ مُدَبِّرًا عَلَى مِصْرَ وَعَلَى كُلِّ بَيْتِهِ. ١٠ 10
१०और उसे उसके सब क्लेशों से छुड़ाकर मिस्र के राजा फ़िरौन के आगे अनुग्रह और बुद्धि दी, उसने उसे मिस्र पर और अपने सारे घर पर राज्यपाल ठहराया।
«ثُمَّ أَتَى جُوعٌ عَلَى كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ وَكَنْعَانَ، وَضِيقٌ عَظِيمٌ، فَكَانَ آبَاؤُنَا لَا يَجِدُونَ قُوتًا. ١١ 11
११तब मिस्र और कनान के सारे देश में अकाल पड़ा; जिससे भारी क्लेश हुआ, और हमारे पूर्वजों को अन्न नहीं मिलता था।
وَلَمَّا سَمِعَ يَعْقُوبُ أَنَّ فِي مِصْرَ قَمْحًا، أَرْسَلَ آبَاءَنَا أَوَّلَ مَرَّةٍ. ١٢ 12
१२परन्तु याकूब ने यह सुनकर, कि मिस्र में अनाज है, हमारे पूर्वजों को पहली बार भेजा।
وَفِي ٱلْمَرَّةِ ٱلثَّانِيَةِ ٱسْتَعْرَفَ يُوسُفُ إِلَى إِخْوَتِهِ، وَٱسْتَعْلَنَتْ عَشِيرَةُ يُوسُفَ لِفِرْعَوْنَ. ١٣ 13
१३और दूसरी बार यूसुफ अपने भाइयों पर प्रगट हो गया, और यूसुफ की जाति फ़िरौन को मालूम हो गई।
فَأَرْسَلَ يُوسُفُ وَٱسْتَدْعَى أَبَاهُ يَعْقُوبَ وَجَمِيعَ عَشِيرَتِهِ، خَمْسَةً وَسَبْعِينَ نَفْسًا. ١٤ 14
१४तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पचहत्तर व्यक्ति थे, बुला भेजा।
فَنَزَلَ يَعْقُوبُ إِلَى مِصْرَ وَمَاتَ هُوَ وَآبَاؤُنَا، ١٥ 15
१५तब याकूब मिस्र में गया; और वहाँ वह और हमारे पूर्वज मर गए।
وَنُقِلُوا إِلَى شَكِيمَ وَوُضِعُوا فِي ٱلْقَبْرِ ٱلَّذِي ٱشْتَرَاهُ إِبْرَاهِيمُ بِثَمَنٍ فِضَّةٍ مِنْ بَنِي حَمُورَ أَبِي شَكِيمَ. ١٦ 16
१६उनके शव शेकेम में पहुँचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे अब्राहम ने चाँदी देकर शेकेम में हमोर की सन्तान से मोल लिया था।
وَكَمَا كَانَ يَقْرُبُ وَقْتُ ٱلْمَوْعِدِ ٱلَّذِي أَقْسَمَ ٱللهُ عَلَيْهِ لِإِبْرَاهِيمَ، كَانَ يَنْمُو ٱلشَّعْبُ وَيَكْثُرُ فِي مِصْرَ، ١٧ 17
१७“परन्तु जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया, जो परमेश्वर ने अब्राहम से की थी, तो मिस्र में वे लोग बढ़ गए; और बहुत हो गए।
إِلَى أَنْ قَامَ مَلِكٌ آخَرُ لَمْ يَكُنْ يَعْرِفُ يُوسُفَ. ١٨ 18
१८तब मिस्र में दूसरा राजा हुआ जो यूसुफ को नहीं जानता था।
فَٱحْتَالَ هَذَا عَلَى جِنْسِنَا وَأَسَاءَ إِلَى آبَائِنَا، حَتَّى جَعَلُوا أَطْفَالَهُمْ مَنْبُوذِينَ لِكَيْ لَا يَعِيشُوا. ١٩ 19
१९उसने हमारी जाति से चतुराई करके हमारे बापदादों के साथ यहाँ तक बुरा व्यवहार किया, कि उन्हें अपने बालकों को फेंक देना पड़ा कि वे जीवित न रहें।
«وَفِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ وُلِدَ مُوسَى وَكَانَ جَمِيلًا جِدًّا، فَرُبِّيَ هَذَا ثَلَاثَةَ أَشْهُرٍ فِي بَيْتِ أَبِيهِ. ٢٠ 20
२०उस समय मूसा का जन्म हुआ; और वह परमेश्वर की दृष्टि में बहुत ही सुन्दर था; और वह तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाला गया।
وَلَمَّا نُبِذَ، ٱتَّخَذَتْهُ ٱبْنَةُ فِرْعَوْنَ وَرَبَّتْهُ لِنَفْسِهَا ٱبْنًا. ٢١ 21
२१परन्तु जब फेंक दिया गया तो फ़िरौन की बेटी ने उसे उठा लिया, और अपना पुत्र करके पाला।
فَتَهَذَّبَ مُوسَى بِكُلِّ حِكْمَةِ ٱلْمِصْرِيِّينَ، وَكَانَ مُقْتَدِرًا فِي ٱلْأَقْوَالِ وَٱلْأَعْمَالِ. ٢٢ 22
२२और मूसा को मिस्रियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह वचन और कामों में सामर्थी था।
وَلَمَّا كَمِلَتْ لَهُ مُدَّةُ أَرْبَعِينَ سَنَةً، خَطَرَ عَلَى بَالِهِ أَنْ يَفْتَقِدَ إِخْوَتَهُ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٢٣ 23
२३“जब वह चालीस वर्ष का हुआ, तो उसके मन में आया कि अपने इस्राएली भाइयों से भेंट करे।
وَإِذْ رَأَى وَاحِدًا مَظْلُومًا حَامَى عَنْهُ، وَأَنْصَفَ ٱلْمَغْلُوبَ، إِذْ قَتَلَ ٱلْمِصْرِيَّ. ٢٤ 24
२४और उसने एक व्यक्ति पर अन्याय होते देखकर, उसे बचाया, और मिस्री को मारकर सताए हुए का पलटा लिया।
فَظَنَّ أَنَّ إِخْوَتَهُ يَفْهَمُونَ أَنَّ ٱللهَ عَلَى يَدِهِ يُعْطِيهِمْ نَجَاةً، وَأَمَّا هُمْ فَلَمْ يَفْهَمُوا. ٢٥ 25
२५उसने सोचा, कि उसके भाई समझेंगे कि परमेश्वर उसके हाथों से उनका उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा।
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّانِي ظَهَرَ لَهُمْ وَهُمْ يَتَخَاصَمُونَ، فَسَاقَهُمْ إِلَى ٱلسَّلَامَةِ قَائِلًا: أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ، أَنْتُمْ إِخْوَةٌ. لِمَاذَا تَظْلِمُونَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا؟ ٢٦ 26
२६दूसरे दिन जब इस्राएली आपस में लड़ रहे थे, तो वह वहाँ जा पहुँचा; और यह कहकर उन्हें मेल करने के लिये समझाया, कि हे पुरुषों, ‘तुम तो भाई-भाई हो, एक दूसरे पर क्यों अन्याय करते हो?’
فَٱلَّذِي كَانَ يَظْلِمُ قَرِيبَهُ دَفَعَهُ قَائِلًا: مَنْ أَقَامَكَ رَئِيسًا وَقَاضِيًا عَلَيْنَا؟ ٢٧ 27
२७परन्तु जो अपने पड़ोसी पर अन्याय कर रहा था, उसने उसे यह कहकर धक्का दिया, ‘तुझे किसने हम पर अधिपति और न्यायाधीश ठहराया है?
أَتُرِيدُ أَنْ تَقْتُلَنِي كَمَا قَتَلْتَ أَمْسِ ٱلْمِصْرِيَّ؟ ٢٨ 28
२८क्या जिस रीति से तूने कल मिस्री को मार डाला मुझे भी मार डालना चाहता है?’
فَهَرَبَ مُوسَى بِسَبَبِ هَذِهِ ٱلْكَلِمَةِ، وَصَارَ غَرِيبًا فِي أَرْضِ مَدْيَانَ، حَيْثُ وَلَدَ ٱبْنَيْنِ. ٢٩ 29
२९यह बात सुनकर, मूसा भागा और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा: और वहाँ उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए।
«وَلَمَّا كَمِلَتْ أَرْبَعُونَ سَنَةً، ظَهَرَ لَهُ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ فِي بَرِّيَّةِ جَبَلِ سِينَاءَ فِي لَهِيبِ نَارِ عُلَّيْقَةٍ. ٣٠ 30
३०“जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए, तो एक स्वर्गदूत ने सीनै पहाड़ के जंगल में उसे जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में दर्शन दिया।
فَلَمَّا رَأَى مُوسَى ذَلِكَ تَعَجَّبَ مِنَ ٱلْمَنْظَرِ. وَفِيمَا هُوَ يَتَقَدَّمُ لِيَتَطَلَّعَ، صَارَ إِلَيْهِ صَوْتُ ٱلرَّبِّ: ٣١ 31
३१मूसा ने उस दर्शन को देखकर अचम्भा किया, और जब देखने के लिये पास गया, तो प्रभु की यह वाणी सुनाई दी,
أَنَا إِلَهُ آبَائِكَ، إِلَهُ إِبْرَاهِيمَ وَإِلَهُ إِسْحَاقَ وَإِلَهُ يَعْقُوبَ. فَٱرْتَعَدَ مُوسَى وَلَمْ يَجْسُرْ أَنْ يَتَطَلَّعَ. ٣٢ 32
३२‘मैं तेरे पूर्वज, अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर हूँ।’ तब तो मूसा काँप उठा, यहाँ तक कि उसे देखने का साहस न रहा।
فَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: ٱخْلَعْ نَعْلَ رِجْلَيْكَ، لِأَنَّ ٱلْمَوْضِعَ ٱلَّذِي أَنْتَ وَاقِفٌ عَلَيْهِ أَرْضٌ مُقَدَّسَةٌ. ٣٣ 33
३३तब प्रभु ने उससे कहा, ‘अपने पाँवों से जूती उतार ले, क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है।
إِنِّي لَقَدْ رَأَيْتُ مَشَقَّةَ شَعْبِي ٱلَّذِينَ فِي مِصْرَ، وَسَمِعْتُ أَنِينَهُمْ وَنَزَلْتُ لِأُنْقِذَهُمْ. فَهَلُمَّ ٱلْآنَ أُرْسِلُكَ إِلَى مِصْرَ. ٣٤ 34
३४मैंने सचमुच अपने लोगों की दुर्दशा को जो मिस्र में है, देखी है; और उनकी आहें और उनका रोना सुन लिया है; इसलिए उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूँ। अब आ, मैं तुझे मिस्र में भेजूँगा।
«هَذَا مُوسَى ٱلَّذِي أَنْكَرُوهُ قَائِلِينَ: مَنْ أَقَامَكَ رَئِيسًا وَقَاضِيًا؟ هَذَا أَرْسَلَهُ ٱللهُ رَئِيسًا وَفَادِيًا بِيَدِ ٱلْمَلَاكِ ٱلَّذِي ظَهَرَ لَهُ فِي ٱلْعُلَّيْقَةِ. ٣٥ 35
३५“जिस मूसा को उन्होंने यह कहकर नकारा था, ‘तुझे किसने हम पर अधिपति और न्यायाधीश ठहराया है?’ उसी को परमेश्वर ने अधिपति और छुड़ानेवाला ठहराकर, उस स्वर्गदूत के द्वारा जिसने उसे झाड़ी में दर्शन दिया था, भेजा।
هَذَا أَخْرَجَهُمْ صَانِعًا عَجَائِبَ وَآيَاتٍ فِي أَرْضِ مِصْرَ، وَفِي ٱلْبَحْرِ ٱلْأَحْمَرِ، وَفِي ٱلْبَرِّيَّةِ أَرْبَعِينَ سَنَةً. ٣٦ 36
३६यही व्यक्ति मिस्र और लाल समुद्र और जंगल में चालीस वर्ष तक अद्भुत काम और चिन्ह दिखा दिखाकर उन्हें निकाल लाया।
«هَذَا هُوَ مُوسَى ٱلَّذِي قَالَ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ: نَبِيًّا مِثْلِي سَيُقِيمُ لَكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ مِنْ إِخْوَتِكُمْ. لَهُ تَسْمَعُونَ. ٣٧ 37
३७यह वही मूसा है, जिसने इस्राएलियों से कहा, ‘परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मेरे जैसा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा।’
هَذَا هُوَ ٱلَّذِي كَانَ فِي ٱلْكَنِيسَةِ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، مَعَ ٱلْمَلَاكِ ٱلَّذِي كَانَ يُكَلِّمُهُ فِي جَبَلِ سِينَاءَ، وَمَعَ آبَائِنَا. ٱلَّذِي قَبِلَ أَقْوَالًا حَيَّةً لِيُعْطِيَنَا إِيَّاهَا. ٣٨ 38
३८यह वही है, जिसने जंगल में मण्डली के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उससे बातें की, और हमारे पूर्वजों के साथ था, उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुँचाए।
ٱلَّذِي لَمْ يَشَأْ آبَاؤُنَا أَنْ يَكُونُوا طَائِعِينَ لَهُ، بَلْ دَفَعُوهُ وَرَجَعُوا بِقُلُوبِهِمْ إِلَى مِصْرَ ٣٩ 39
३९परन्तु हमारे पूर्वजों ने उसकी मानना न चाहा; वरन् उसे ठुकराकर अपने मन मिस्र की ओर फेरे,
قَائِلِينَ لِهَارُونَ: ٱعْمَلْ لَنَا آلِهَةً تَتَقَدَّمُ أَمَامَنَا، لِأَنَّ هَذَا مُوسَى ٱلَّذِي أَخْرَجَنَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ لَا نَعْلَمُ مَاذَا أَصَابَهُ! ٤٠ 40
४०और हारून से कहा, ‘हमारे लिये ऐसा देवता बना, जो हमारे आगे-आगे चलें; क्योंकि यह मूसा जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया, हम नहीं जानते उसे क्या हुआ?’
فَعَمِلُوا عِجْلًا فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ وَأَصْعَدُوا ذَبِيحَةً لِلصَّنَمِ، وَفَرِحُوا بِأَعْمَالِ أَيْدِيهِمْ. ٤١ 41
४१उन दिनों में उन्होंने एक बछड़ा बनाकर, उसकी मूरत के आगे बलि चढ़ाया; और अपने हाथों के कामों में मगन होने लगे।
فَرَجَعَ ٱللهُ وَأَسْلَمَهُمْ لِيَعْبُدُوا جُنْدَ ٱلسَّمَاءِ، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ فِي كِتَابِ ٱلْأَنْبِيَاءِ: هَلْ قَرَّبْتُمْ لِي ذَبَائِحَ وَقَرَابِينَ أَرْبَعِينَ سَنَةً فِي ٱلْبَرِّيَّةِ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ؟ ٤٢ 42
४२अतः परमेश्वर ने मुँह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया, कि आकाशगण पूजें, जैसा भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखा है, ‘हे इस्राएल के घराने, क्या तुम जंगल में चालीस वर्ष तक पशुबलि और अन्नबलि मुझ ही को चढ़ाते रहे?
بَلْ حَمَلْتُمْ خَيْمَةَ مُولُوكَ، وَنَجْمَ إِلَهِكُمْ رَمْفَانَ، ٱلتَّمَاثِيلَ ٱلَّتِي صَنَعْتُمُوهَا لِتَسْجُدُوا لَهَا. فَأَنْقُلُكُمْ إِلَى مَا وَرَاءَ بَابِلَ. ٤٣ 43
४३और तुम मोलेक के तम्बू और रिफान देवता के तारे को लिए फिरते थे, अर्थात् उन मूर्तियों को जिन्हें तुम ने दण्डवत् करने के लिये बनाया था। अतः मैं तुम्हें बाबेल के परे ले जाकर बसाऊँगा।’
«وَأَمَّا خَيْمَةُ ٱلشَّهَادَةِ فَكَانَتْ مَعَ آبَائِنَا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، كَمَا أَمَرَ ٱلَّذِي كَلَّمَ مُوسَى أَنْ يَعْمَلَهَا عَلَى ٱلْمِثَالِ ٱلَّذِي كَانَ قَدْ رَآهُ، ٤٤ 44
४४“साक्षी का तम्बू जंगल में हमारे पूर्वजों के बीच में था; जैसा उसने ठहराया, जिसने मूसा से कहा, ‘जो आकार तूने देखा है, उसके अनुसार इसे बना।’
ٱلَّتِي أَدْخَلَهَا أَيْضًا آبَاؤُنَا إِذْ تَخَلَّفُوا عَلَيْهَا مَعَ يَشُوعَ فِي مُلْكِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ طَرَدَهُمُ ٱللهُ مِنْ وَجْهِ آبَائِنَا، إِلَى أَيَّامِ دَاوُدَ ٤٥ 45
४५उसी तम्बू को हमारे पूर्वजों ने पूर्वकाल से पाकर यहोशू के साथ यहाँ ले आए; जिस समय कि उन्होंने उन अन्यजातियों पर अधिकार पाया, जिन्हें परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से निकाल दिया, और वह दाऊद के समय तक रहा।
ٱلَّذِي وَجَدَ نِعْمَةً أَمَامَ ٱللهِ، وَٱلْتَمَسَ أَنْ يَجِدَ مَسْكَنًا لِإِلَهِ يَعْقُوبَ. ٤٦ 46
४६उस पर परमेश्वर ने अनुग्रह किया; अत: उसने विनती की कि वह याकूब के परमेश्‍वर के लिये निवास-स्थान बनाए।
وَلَكِنَّ سُلَيْمَانَ بَنَى لَهُ بَيْتًا. ٤٧ 47
४७परन्तु सुलैमान ने उसके लिये घर बनाया।
لَكِنَّ ٱلْعَلِيَّ لَا يَسْكُنُ فِي هَيَاكِلَ مَصْنُوعَاتِ ٱلْأَيَادِي، كَمَا يَقُولُ ٱلنَّبِيُّ: ٤٨ 48
४८परन्तु परमप्रधान हाथ के बनाए घरों में नहीं रहता, जैसा कि भविष्यद्वक्ता ने कहा,
ٱلسَّمَاءُ كُرْسِيٌّ لِي، وَٱلْأَرْضُ مَوْطِئٌ لِقَدَمَيَّ. أَيَّ بَيْتٍ تَبْنُونَ لِي؟ يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأَيٌّ هُوَ مَكَانُ رَاحَتِي؟ ٤٩ 49
४९‘प्रभु कहता है, स्वर्ग मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे पाँवों तले की चौकी है, मेरे लिये तुम किस प्रकार का घर बनाओगे? और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?
أَلَيْسَتْ يَدِي صَنَعَتْ هَذِهِ ٱلْأَشْيَاءَ كُلَّهَا؟ ٥٠ 50
५०क्या ये सब वस्तुएँ मेरे हाथ की बनाई नहीं?’
«يَا قُسَاةَ ٱلرِّقَابِ، وَغَيْرَ ٱلْمَخْتُونِينَ بِٱلْقُلُوبِ وَٱلْآذَانِ! أَنْتُمْ دَائِمًا تُقَاوِمُونَ ٱلرُّوحَ ٱلْقُدُسَ. كَمَا كَانَ آبَاؤُكُمْ كَذَلِكَ أَنْتُمْ! ٥١ 51
५१“हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो। जैसा तुम्हारे पूर्वज करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो।
أَيُّ ٱلْأَنْبِيَاءِ لَمْ يَضْطَهِدْهُ آبَاؤُكُمْ؟ وَقَدْ قَتَلُوا ٱلَّذِينَ سَبَقُوا فَأَنْبَأُوا بِمَجِيءِ ٱلْبَارِّ، ٱلَّذِي أَنْتُمُ ٱلْآنَ صِرْتُمْ مُسَلِّمِيهِ وَقَاتِلِيهِ، ٥٢ 52
५२भविष्यद्वक्ताओं में से किसको तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? और उन्होंने उस धर्मी के आगमन का पूर्वकाल से सन्देश देनेवालों को मार डाला, और अब तुम भी उसके पकड़वानेवाले और मार डालनेवाले हुए
ٱلَّذِينَ أَخَذْتُمُ ٱلنَّامُوسَ بِتَرْتِيبِ مَلَائِكَةٍ وَلَمْ تَحْفَظُوهُ». ٥٣ 53
५३तुम ने स्वर्गदूतों के द्वारा ठहराई हुई व्यवस्था तो पाई, परन्तु उसका पालन नहीं किया।”
فَلَمَّا سَمِعُوا هَذَا حَنِقُوا بِقُلُوبِهِمْ وَصَرُّوا بِأَسْنَانِهِمْ عَلَيْهِ. ٥٤ 54
५४ये बातें सुनकर वे क्रोधित हुए और उस पर दाँत पीसने लगे।
وَأَمَّا هُوَ فَشَخَصَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ وَهُوَ مُمْتَلِئٌ مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، فَرَأَى مَجْدَ ٱللهِ، وَيَسُوعَ قَائِمًا عَنْ يَمِينِ ٱللهِ. ٥٥ 55
५५परन्तु उसने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर स्वर्ग की ओर देखा और परमेश्वर की महिमा को और यीशु को परमेश्वर की दाहिनी ओर खड़ा देखकर
فَقَالَ: «هَا أَنَا أَنْظُرُ ٱلسَّمَاوَاتِ مَفْتُوحَةً، وَٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ قَائِمًا عَنْ يَمِينِ ٱللهِ». ٥٦ 56
५६कहा, “देखों, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ।”
فَصَاحُوا بِصَوْتٍ عَظِيمٍ وَسَدُّوا آذَانَهُمْ، وَهَجَمُوا عَلَيْهِ بِنَفْسٍ وَاحِدَةٍ، ٥٧ 57
५७तब उन्होंने बड़े शब्द से चिल्लाकर कान बन्द कर लिए, और एक चित्त होकर उस पर झपटे।
وَأَخْرَجُوهُ خَارِجَ ٱلْمَدِينَةِ وَرَجَمُوهُ. وَٱلشُّهُودُ خَلَعُوا ثِيَابَهُمْ عِنْدَ رِجْلَيْ شَابٍّ يُقَالُ لَهُ شَاوُلُ. ٥٨ 58
५८और उसे नगर के बाहर निकालकर पथराव करने लगे, और गवाहों ने अपने कपड़े शाऊल नामक एक जवान के पाँवों के पास उतार कर रखे।
فَكَانُوا يَرْجُمُونَ ٱسْتِفَانُوسَ وَهُوَ يَدْعُو وَيَقُولُ: «أَيُّهَا ٱلرَّبُّ يَسُوعُ، ٱقْبَلْ رُوحِي». ٥٩ 59
५९और वे स्तिफनुस को पथराव करते रहे, और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।”
ثُمَّ جَثَا عَلَى رُكْبَتَيْهِ وَصَرَخَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «يَارَبُّ، لَا تُقِمْ لَهُمْ هَذِهِ ٱلْخَطِيَّةَ». وَإِذْ قَالَ هَذَا رَقَدَ. ٦٠ 60
६०फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, “हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा।” और यह कहकर सो गया।

< أعمال 7 >