< أَمْثَالٌ 27 >
لَا تَفْتَخِرْ بِٱلْغَدِ لِأَنَّكَ لَا تَعْلَمُ مَاذَا يَلِدُهُ يَوْمٌ. | ١ 1 |
कल की बारे में घमण्ड़ न कर, क्यूँकि तू नहीं जानता कि एक ही दिन में क्या होगा।
لِيَمْدَحْكَ ٱلْغَرِيبُ لَا فَمُكَ، ٱلْأَجْنَبِيُّ لَا شَفَتَاكَ. | ٢ 2 |
ग़ैर तेरी सिताइश करे न कि तेरा ही मुँह, बेगाना करे न कि तेरे ही लब।
اَلْحَجَرُ ثَقِيلٌ وَٱلرَّمْلُ ثَقِيلٌ، وَغَضَبُ ٱلْجَاهِلِ أَثْقَلُ مِنْهُمَا كِلَيْهِمَا. | ٣ 3 |
पत्थर भारी है और रेत वज़नदार है, लेकिन बेवक़ूफ़ का झुंझलाना इन दोनों से गिरॉतर है।
اَلْغَضَبُ قَسَاوَةٌ وَٱلسَّخَطُ جُرَافٌ، وَمَنْ يَقِفُ قُدَّامَ ٱلْحَسَدِ؟ | ٤ 4 |
ग़ुस्सा सख़्त बेरहमी और क़हर सैलाब है, लेकिन जलन के सामने कौन खड़ा रह सकता है?
اَلتَّوْبِيخُ ٱلظَّاهِرُ خَيْرٌ مِنَ ٱلْحُبِّ ٱلْمُسْتَتِرِ. | ٥ 5 |
छिपी मुहब्बत से, खुली मलामत बेहतर है।
أَمِينَةٌ هِيَ جُرُوحُ ٱلْمُحِبِّ، وَغَاشَّةٌ هِيَ قُبْلَاتُ ٱلْعَدُوِّ. | ٦ 6 |
जो ज़ख़्म दोस्त के हाथ से लगें वफ़ा से भरे है, लेकिन दुश्मन के बोसे बाइफ़्रात हैं।
اَلنَّفْسُ ٱلشَّبْعَانَةُ تَدُوسُ ٱلْعَسَلَ، وَلِلنَّفْسِ ٱلْجَائِعَةِ كُلُّ مُرٍّ حُلْوٌ. | ٧ 7 |
आसूदा जान को शहद के छत्ते से भी नफ़रत है, लेकिन भूके के लिए हर एक कड़वी चीज़ मीठी है।
مِثْلُ ٱلْعُصْفُورِ ٱلتَّائِهِ مِنْ عُشِّهِ، هَكَذَا ٱلرَّجُلُ ٱلتَّائِهُ مِنْ مَكَانِهِ. | ٨ 8 |
अपने मकान से आवारा इंसान, उस चिड़िया की तरह है जो अपने आशियाने से भटक जाए।
اَلدُّهْنُ وَٱلْبَخُورُ يُفَرِّحَانِ ٱلْقَلْبَ، وَحَلَاوَةُ ٱلصَّدِيقِ مِنْ مَشُورَةِ ٱلنَّفْسِ. | ٩ 9 |
जैसे तेल और इत्र से दिल को फ़रहत होती है, वैसे ही दोस्त की दिली मश्वरत की शीरीनी से।
لَا تَتْرُكْ صَدِيقَكَ وَصَدِيقَ أَبِيكَ، وَلَا تَدْخُلْ بَيْتَ أَخِيكَ فِي يَوْمِ بَلِيَّتِكَ. ٱلْجَارُ ٱلْقَرِيبُ خَيْرٌ مِنَ ٱلْأَخِ ٱلْبَعِيدِ. | ١٠ 10 |
अपने दोस्त और अपने बाप के दोस्त को छोड़ न दे, और अपनी मुसीबत के दिन अपने भाई के घर न जा; क्यूँकि पड़ोसी जो नज़दीक हो उस भाई से जो दूर हो बेहतर है।
يَا ٱبْنِي، كُنْ حَكِيمًا وَفَرِّحْ قَلْبِي، فَأُجِيبَ مَنْ يُعَيِّرُنِي كَلِمَةً. | ١١ 11 |
ऐ मेरे बेटे, 'अक़्लमंद बन और मेरे दिल को शाद कर, ताकि मैं अपने मलामत करने वाले को जवाब दे सकूं।
ٱلذَّكِيُّ يُبْصِرُ ٱلشَّرَّ فَيَتَوَارَى. ٱلْأَغْبِيَاءُ يَعْبُرُونَ فَيُعَاقَبُونَ. | ١٢ 12 |
होशियार बला को देखकर छिप जाता है; लेकिन नादान बढ़े चले जाते और नुक़सान उठाते हैं।
خُذْ ثَوْبَهُ لِأَنَّهُ ضَمِنَ غَرِيبًا، وَلِأَجْلِ ٱلْأَجَانِبِ ٱرْتَهِنَ مِنْهُ. | ١٣ 13 |
जो बेगाने का ज़ामिन हो उसके कपड़े छीन ले, और जो अजनबी का ज़ामिन हो उससे कुछ गिरवी रख ले।
مَنْ يُبَارِكُ قَرِيبَهُ بِصَوْتٍ عَالٍ فِي ٱلصَّبَاحِ بَاكِرًا، يُحْسَبُ لَهُ لَعْنًا. | ١٤ 14 |
जो सुबह सवेरे उठकर अपने दोस्त के लिए बलन्द आवाज़ से दु'आ — ए — ख़ैर करता है, उसके लिए यह ला'नत महसूब होगी।
اَلْوَكْفُ ٱلْمُتَتَابِعُ فِي يَوْمٍ مُمْطِرٍ، وَٱلْمَرْأَةُ ٱلْمُخَاصِمَةُ سِيَّانِ، | ١٥ 15 |
झड़ी के दिन का लगातार टपका, और झगड़ालू बीवी यकसाँ हैं;
مَنْ يُخَبِّئُهَا يُخَبِّئُ ٱلرِّيحَ وَيَمِينُهُ تَقْبِضُ عَلَى زَيْتٍ! | ١٦ 16 |
जो उसको रोकता है, हवा को रोकता है; और उसका दहना हाथ तेल को पकड़ता है।
ٱلْحَدِيدُ بِٱلْحَدِيدِ يُحَدَّدُ، وَٱلْإِنْسَانُ يُحَدِّدُ وَجْهَ صَاحِبِهِ. | ١٧ 17 |
जिस तरह लोहा लोहे को तेज़ करता है, उसी तरह आदमी के दोस्त के चहरे की आब उसी से है।
مَنْ يَحْمِي تِينَةً يَأْكُلُ ثَمَرَتَهَا، وَحَافِظُ سَيِّدِهِ يُكْرَمُ. | ١٨ 18 |
जो अंजीर के दरख़्त की निगहबानी करता है उसका मेवा खाएगा, और जो अपने आक़ा की खिदमत करता है 'इज़्ज़त पाएगा।
كَمَا فِي ٱلْمَاءِ ٱلْوَجْهُ لِلْوَجْهِ، كَذَلِكَ قَلْبُ ٱلْإِنْسَانِ لِلْإِنْسَانِ. | ١٩ 19 |
जिस तरह पानी में चेहरा चेहरे से मुशाबह है, उसी तरह आदमी का दिल आदमी से।
اَلْهَاوِيَةُ وَٱلْهَلَاكُ لَا يَشْبَعَانِ، وَكَذَا عَيْنَا ٱلْإِنْسَانِ لَا تَشْبَعَانِ. (Sheol ) | ٢٠ 20 |
जिस तरह पाताल और हलाकत को आसूदगी नहीं, उसी तरह इंसान की आँखे सेर नहीं होतीं। (Sheol )
اَلْبُوطَةُ لِلْفِضَّةِ وَٱلْكُورُ لِلذَّهَبِ، كَذَا ٱلْإِنْسَانُ لِفَمِ مَادِحِهِ. | ٢١ 21 |
जैसे चाँदी के लिए कुठाली और सोने के लिए भट्टी है, वैसे ही आदमी के लिए उसकी ता'रीफ़ है।
إِنْ دَقَقْتَ ٱلْأَحْمَقَ فِي هَاوُنٍ بَيْنَ ٱلسَّمِيذِ بِمِدَقٍّ، لَا تَبْرَحُ عَنْهُ حَمَاقَتُهُ. | ٢٢ 22 |
अगरचे तू बेवक़ूफ़ को अनाज के साथ उखली में डाल कर मूसल से कूटे, तोभी उसकी हिमाक़त उससे कभी जुदा न होगी।
مَعْرِفَةً ٱعْرِفْ حَالَ غَنَمِكَ، وَٱجْعَلْ قَلْبَكَ إِلَى قُطْعَانِكَ، | ٢٣ 23 |
अपने रेवड़ों का हाल दरियाफ़त करने में दिल लगा, और अपने ग़ल्लों को अच्छी तरह से देख;
لِأَنَّ ٱلْغِنَى لَيْسَ بِدَائِمٍ، وَلَا ٱلتَّاجُ لِدَوْرٍ فَدَوْرٍ. | ٢٤ 24 |
क्यूँकि दौलत हमेशा नहीं रहती; और क्या ताजवरी नसल — दर — नसल क़ाईम रहती है?
فَنِيَ ٱلْحَشِيشُ وَظَهَرَ ٱلْعُشْبُ وَٱجْتَمَعَ نَبَاتُ ٱلْجِبَالِ. | ٢٥ 25 |
सूखी घास जमा' की जाती है, फिर सब्ज़ा नुमायाँ होता है; और पहाड़ों पर से चारा काट कर जमा' किया जाता है।
ٱلْحُمْلَانُ لِلِبَاسِكَ، وَثَمَنُ حَقْلٍ أَعْتِدَةٌ. | ٢٦ 26 |
बरें तेरी परवरिश के लिए हैं, और बक़रियाँ तेरे मैदानों की क़ीमत हैं,
وَكِفَايَةٌ مِنْ لَبَنِ ٱلْمَعْزِ لِطَعَامِكَ، لِقُوتِ بَيْتِكَ وَمَعِيشَةِ فَتَيَاتِكَ. | ٢٧ 27 |
और बकरियों का दूध तेरी और तेरे ख़ान्दान की खू़राक और तेरी लौंडियों की गुज़ारा के लिए काफ़ी है।