< اَلْمَزَامِيرُ 17 >
صَلَاةٌ لِدَاوُدَ اِسْمَعْ يَارَبُّ لِلْحَقِّ. أَنْصِتْ إِلَى صُرَاخِي. أَصْغِ إِلَى صَلَاتِي مِنْ شَفَتَيْنِ بِلَا غِشٍّ. | ١ 1 |
१दाऊद की प्रार्थना हे यहोवा परमेश्वर सच्चाई के वचन सुन, मेरी पुकार की ओर ध्यान दे मेरी प्रार्थना की ओर जो निष्कपट मुँह से निकलती है कान लगा!
مِنْ قُدَّامِكَ يَخْرُجُ قَضَائِي. عَيْنَاكَ تَنْظُرَانِ ٱلْمُسْتَقِيمَاتِ. | ٢ 2 |
२मेरे मुकद्दमे का निर्णय तेरे सम्मुख हो! तेरी आँखें न्याय पर लगी रहें!
جَرَّبْتَ قَلْبِي. تَعَهَّدْتَهُ لَيْلًا. مَحَّصْتَنِي. لَا تَجِدُ فِيَّ ذُمُومًا. لَا يَتَعَدَّى فَمِي. | ٣ 3 |
३यदि तू मेरे हृदय को जाँचता; यदि तू रात को मेरा परीक्षण करता, यदि तू मुझे परखता तो कुछ भी खोटापन नहीं पाता; मेरे मुँह से अपराध की बात नहीं निकलेगी।
مِنْ جِهَةِ أَعْمَالِ ٱلنَّاسِ فَبِكَلَامِ شَفَتَيْكَ أَنَا تَحَفَّظْتُ مِنْ طُرُقِ ٱلْمُعْتَنِفِ. | ٤ 4 |
४मानवीय कामों में मैंने तेरे मुँह के वचनों के द्वारा अधर्मियों के मार्ग से स्वयं को बचाए रखा।
تَمَسَّكَتْ خُطُوَاتِي بِآثَارِكَ فَمَا زَلَّتْ قَدَمَايَ. | ٥ 5 |
५मेरे पाँव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं।
أَنَا دَعَوْتُكَ لِأَنَّكَ تَسْتَجِيبُ لِي يَا ٱللهُ. أَمِلْ أُذُنَيْكَ إِلَيَّ. ٱسْمَعْ كَلَامِي. | ٦ 6 |
६हे परमेश्वर, मैंने तुझ से प्रार्थना की है, क्योंकि तू मुझे उत्तर देगा। अपना कान मेरी ओर लगाकर मेरी विनती सुन ले।
مَيِّزْ مَرَاحِمَكَ، يَامُخَلِّصَ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَيْكَ، بِيَمِينِكَ مِنَ ٱلْمُقَاوِمِينَ. | ٧ 7 |
७तू जो अपने दाहिने हाथ के द्वारा अपने शरणागतों को उनके विरोधियों से बचाता है, अपनी अद्भुत करुणा दिखा।
ٱحْفَظْنِي مِثْلَ حَدَقَةِ ٱلْعَيْنِ. بِظِلِّ جَنَاحَيْكَ ٱسْتُرْنِي | ٨ 8 |
८अपनी आँखों की पुतली के समान सुरक्षित रख; अपने पंखों के तले मुझे छिपा रख,
مِنْ وَجْهِ ٱلْأَشْرَارِ ٱلَّذِينَ يُخْرِبُونَنِي، أَعْدَائِي بِٱلنَّفْسِ ٱلَّذِينَ يَكْتَنِفُونَنِي. | ٩ 9 |
९उन दुष्टों से जो मुझ पर अत्याचार करते हैं, मेरे प्राण के शत्रुओं से जो मुझे घेरे हुए हैं।
قَلْبَهُمُ ٱلسَّمِينَ قَدْ أَغْلَقُوا. بِأَفْوَاهِهِمْ قَدْ تَكَلَّمُوا بِٱلْكِبْرِيَاءِ. | ١٠ 10 |
१०उन्होंने अपने हृदयों को कठोर किया है; उनके मुँह से घमण्ड की बातें निकलती हैं।
فِي خُطُوَاتِنَا ٱلْآنَ قَدْ أَحَاطُوا بِنَا. نَصَبُوا أَعْيُنَهُمْ لِيُزْلِقُونَا إِلَى ٱلْأَرْضِ. | ١١ 11 |
११उन्होंने पग-पग पर मुझ को घेरा है; वे मुझ को भूमि पर पटक देने के लिये घात लगाए हुए हैं।
مَثَلُهُ مَثَلُ ٱلْأَسَدِ ٱلْقَرِمِ إِلَى ٱلِٱفْتِرَاسِ، وَكَٱلشِّبْلِ ٱلْكَامِنِ فِي عِرِّيسِهِ. | ١٢ 12 |
१२वह उस सिंह के समान है जो अपने शिकार की लालसा करता है, और जवान सिंह के समान घात लगाने के स्थानों में बैठा रहता है।
قُمْ يَارَبُّ. تَقَدَّمْهُ. اِصْرَعْهُ. نَجِّ نَفْسِي مِنَ ٱلشِّرِّيرِ بِسَيْفِكَ، | ١٣ 13 |
१३उठ, हे यहोवा! उसका सामना कर और उसे पटक दे! अपनी तलवार के बल से मेरे प्राण को दुष्ट से बचा ले।
مِنَ ٱلنَّاسِ بِيَدِكَ يَارَبُّ، مِنْ أَهْلِ ٱلدُّنْيَا. نَصِيبُهُمْ فِي حَيَاتِهِمْ. بِذَخَائِرِكَ تَمْلَأُ بُطُونَهُمْ. يَشْبَعُونَ أَوْلَادًا وَيَتْرُكُونَ فُضَالَتَهُمْ لِأَطْفَالِهِمْ. | ١٤ 14 |
१४अपना हाथ बढ़ाकर हे यहोवा, मुझे मनुष्यों से बचा, अर्थात् सांसारिक मनुष्यों से जिनका भाग इसी जीवन में है, और जिनका पेट तू अपने भण्डार से भरता है। वे बाल-बच्चों से सन्तुष्ट हैं; और शेष सम्पत्ति अपने बच्चों के लिये छोड़ जाते हैं।
أَمَّا أَنَا فَبِالْبِرِّ أَنْظُرُ وَجْهَكَ. أَشْبَعُ إِذَا ٱسْتَيْقَظْتُ بِشَبَهِكَ. | ١٥ 15 |
१५परन्तु मैं तो धर्मी होकर तेरे मुख का दर्शन करूँगा जब मैं जागूँगा तब तेरे स्वरूप से सन्तुष्ट होऊँगा।