< اَلْمَزَامِيرُ 63 >
مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ لَمَّا كَانَ فِي بَرِّيَّةِ يَهُوذَا يَا ٱللهُ، إِلَهِي أَنْتَ. إِلَيْكَ أُبَكِّرُ. عَطِشَتْ إِلَيْكَ نَفْسِي، يَشْتَاقُ إِلَيْكَ جَسَدِي فِي أَرْضٍ نَاشِفَةٍ وَيَابِسَةٍ بِلَا مَاءٍ، | ١ 1 |
ऐ ख़ुदा, तू मेरा ख़ुदा है, मै दिल से तेरा तालिब हूँगा; ख़ुश्क और प्यासी ज़मीन में जहाँ पानी नहीं, मेरी जान तेरी प्यासी और मेरा जिस्म तेरा मुशताक़ है
لِكَيْ أُبْصِرَ قُوَّتَكَ وَمَجْدَكَ. كَمَا قَدْ رَأَيْتُكَ فِي قُدْسِكَ. | ٢ 2 |
इस तरह मैंने मक़दिस में तुझ पर निगाह की ताकि तेरी कु़दरत और हश्मत को देखूँ।
لِأَنَّ رَحْمَتَكَ أَفْضَلُ مِنَ ٱلْحَيَاةِ. شَفَتَايَ تُسَبِّحَانِكَ. | ٣ 3 |
क्यूँकि तेरी शफ़क़त ज़िन्दगी से बेहतर है मेरे होंट तेरी ता'रीफ़ करेंगे।
هَكَذَا أُبَارِكُكَ فِي حَيَاتِي. بِٱسْمِكَ أَرْفَعُ يَدَيَّ. | ٤ 4 |
इसी तरह मैं उम्र भर तुझे मुबारक कहूँगा; और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाया करूँगा;
كَمَا مِنْ شَحْمٍ وَدَسَمٍ تَشْبَعُ نَفْسِي، وَبِشَفَتَيْ ٱلِٱبْتِهَاجِ يُسَبِّحُكَ فَمِي. | ٥ 5 |
मेरी जान जैसे गूदे और चर्बी से सेर होगी, और मेरा मुँह मसरूर लबों से तेरी ता'रीफ़ करेगा।
إِذَا ذَكَرْتُكَ عَلَى فِرَاشِي، فِي ٱلسُّهْدِ أَلْهَجُ بِكَ، | ٦ 6 |
जब मैं बिस्तर पर तुझे याद करूँगा, और रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा;
لِأَنَّكَ كُنْتَ عَوْنًا لِي، وَبِظِلِّ جَنَاحَيْكَ أَبْتَهِجُ. | ٧ 7 |
इसलिए कि तू मेरा मददगार रहा है, और मैं तेरे परों के साये में ख़ुशी मनाऊँगा।
اِلْتَصَقَتْ نَفْسِي بِكَ. يَمِينُكَ تَعْضُدُنِي. | ٨ 8 |
मेरी जान को तेरी ही धुन है; तेरा दहना हाथ मुझे संभालता है।
أَمَّا ٱلَّذِينَ هُمْ لِلتَّهْلُكَةِ يَطْلُبُونَ نَفْسِي، فَيَدْخُلُونَ فِي أَسَافِلِ ٱلْأَرْضِ. | ٩ 9 |
लेकिन जो मेरी जान की हलाकत के दर पै हैं, वह ज़मीन के तह में चले जाएँगे।
يُدْفَعُونَ إِلَى يَدَيِ ٱلسَّيْفِ. يَكُونُونَ نَصِيبًا لِبَنَاتِ آوَى. | ١٠ 10 |
वह तलवार के हवाले होंगे, वह गीदड़ों का लुक्मा बनेंगे।
أَمَّا ٱلْمَلِكُ فَيَفْرَحُ بِٱللهِ. يَفْتَخِرُ كُلُّ مَنْ يَحْلِفُ بِهِ، لِأَنَّ أَفْوَاهَ ٱلْمُتَكَلِّمِينَ بِٱلْكَذِبِ تُسَدُّ. | ١١ 11 |
लेकिन बादशाह खु़दा में ख़ुश होगा; जो उसकी क़सम खाता है वह फ़ख़्र करेगा; क्यूँकि झूट बोलने वालों का मुँह बन्द कर दिया जाएगा