< ᎨᏥᏅᏏᏛ ᏄᎾᏛᏁᎵᏙᎸᎢ 8 >

1 ᏐᎳᏃ ᎣᏏᏳ ᎠᏰᎸᏍᎨ ᎠᏥᎸᎢ. ᎾᎯᏳᏃ ᎤᎶᏘ ᎤᏲ ᏂᎨᎬᎾᏕᎨ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏈᎬ ᏥᎷᏏᎵᎻ; ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎤᎾᏗᎦᎴᏲᏤ ᏂᎬᎾᏛ ᏧᏗᏱ ᎠᎴ ᏌᎺᎵᏱ, ᎨᏥᏅᏏᏛ ᎤᏅᏒ.
शाऊल उसकी मृत्यु के साथ सहमत था। उसी दिन यरूशलेम की कलीसिया पर बड़ा उपद्रव होने लगा और प्रेरितों को छोड़ सब के सब यहूदिया और सामरिया देशों में तितर-बितर हो गए।
2 ᎠᏂᏍᎦᏯᏃ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᏂᎾᏰᏍᎩ ᎤᏂᎾᏫᏛᎮ ᏍᏗᏫ, ᎠᎴ ᎤᏣᏔᏅᎯ ᎤᏂᏍᎪᏂᎴᎢ.
और भक्तों ने स्तिफनुस को कब्र में रखा; और उसके लिये बड़ा विलाप किया।
3 ᏐᎳᏍᎩᏂ ᎤᏣᏘ ᎤᏲ ᏂᏕᎬᏁᎮ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏈᎬᎢ, ᏓᏴᎵᏙᎮ ᏓᏓᏁᎳᏗᏒᎢ, ᏕᎦᎾᏌᏁᏏᏙᎮ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎠᎴ ᎠᏂᎨᏴ, ᎠᎴ ᏗᏓᏍᏚᏗᏱ ᏓᏴᏗᏍᎨᎢ.
पर शाऊल कलीसिया को उजाड़ रहा था; और घर-घर घुसकर पुरुषों और स्त्रियों को घसीट-घसीट कर बन्दीगृह में डालता था।
4 ᎤᎾᏗᎦᎴᏲᏨᎯᏃ ᎠᏁᏙᎮ ᎠᎾᎵᏥᏙᏂᏙᎮ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ.
मगर जो तितर-बितर हुए थे, वे सुसमाचार सुनाते हुए फिरे।
5 ᏈᎵᎩᏃ ᏗᎦᏚᎲ ᏌᎺᎵᏱ ᏭᎶᏎᎢ, ᎠᎴ ᏚᎵᏥᏙᏁᎴ ᏚᏃᎮᎮᎴ ᎦᎶᏁᏛ.
और फिलिप्पुस सामरिया नगर में जाकर लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा।
6 ᎤᏂᏣᏘᏃ ᏌᏉ ᎢᎦᎦᏛ ᎤᎾᎦᏌᏯᏍᏔᏁ ᏈᎵᎩ ᎧᏃᎮᏍᎬᎢ, ᎤᎾᏛᎦᏅ ᎠᎴ ᎤᏂᎪᎲ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ.
जो बातें फिलिप्पुस ने कहीं उन्हें लोगों ने सुनकर और जो चिन्ह वह दिखाता था उन्हें देख देखकर, एक चित्त होकर मन लगाया।
7 ᎠᏂᎦᏓᎭᏰᏃ ᏗᏓᏅᏙ ᎠᏍᏓᏯ ᎠᏁᎷᎲᏍᎨ ᏕᎬᏩᏂᏄᎪᎨ ᎤᏂᏣᏖ ᎬᏩᏂᏯᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏤᏖ ᏧᏂᎾᏫᏍᎩ ᎠᎴ ᏗᏂᏲᎤᎵ ᏚᎾᏗᏩᏍᎨᎢ.
क्योंकि बहुतों में से अशुद्ध आत्माएँ बड़े शब्द से चिल्लाती हुई निकल गईं, और बहुत से लकवे के रोगी और लँगड़े भी अच्छे किए गए।
8 ᎤᏣᏔᏅᎯᏃ ᎠᎾᎵᎮᎵᎨ ᎾᎿᎭᎦᏚᎲᎢ.
और उस नगर में बड़ा आनन्द छा गया।
9 ᎩᎶᏍᎩᏂᏃᏅ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏯ ᎾᎿᎭᎡᎮ ᏌᏩᏂ ᏧᏙᎢᏛ ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᎦᏚᎲ ᎠᏙᏅᏗ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎯ ᎨᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏧᏓᏅᏓᏗᏍᏔᏅᎯ ᎨᏎ ᏌᎺᎵᏱ ᎠᏁᎯ, ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏥᎸᏉᏗ ᎠᏤᎸᏍᎨᎢ.
इससे पहले उस नगर में शमौन नामक एक मनुष्य था, जो जादू-टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आपको एक बड़ा पुरुष बताता था।
10 ᎾᏍᎩᏃ ᎬᏬᎯᏳᎲᏍᎨ ᎾᏂᎥ ᎨᏥᎸᏉᏗ ᎠᎴ ᎨᏥᎸᏉᏗ ᏂᎨᏒᎾ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ; ᎤᏣᏘ ᎤᎵᏂᎩᏗᏳ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏪᎭ.
१०और सब छोटे से लेकर बड़े तक उसका सम्मान कर कहते थे, “यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है।”
11 ᎾᏍᎩᏃ ᎬᏬᎯᏳᎲᏍᎨᎢ, ᎪᎯᏗᏳᏰᏃ ᎬᏩᎴᏅᏛ ᎨᏎ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏓᏓᏅᏓᏗᏍᏗᏍᎨ ᎠᏙᏂᏍᎬᎢ.
११उसने बहुत दिनों से उन्हें अपने जादू के कामों से चकित कर रखा था, इसलिए वे उसको बहुत मानते थे।
12 ᎠᏎᏃ ᎤᏃᎯᏳᏅ ᏈᎵᎩ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎬ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎠᎴ ᏕᎤᏙᎥ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᎬᏩᎵ, ᏕᎨᎦᏬᏍᎨ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎠᎴ ᎠᏂᎨᏴ.
१२परन्तु जब उन्होंने फिलिप्पुस का विश्वास किया जो परमेश्वर के राज्य और यीशु मसीह के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्या पुरुष, क्या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे।
13 ᏌᏩᏂᏃ ᎾᏍᏉ ᎤᏬᎯᏳᏁᎢ, ᎠᎦᏬᎥᏃ ᎤᏍᏓᏩᏗᏙᎴ ᏈᎵᎩ; ᎠᎪᏩᏗᏍᎬᏃ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᎠᎴ ᎤᏰᎸᏛ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ, ᎠᏍᏆᏂᎪᏍᎨᎢ.
१३तब शमौन ने स्वयं भी विश्वास किया और बपतिस्मा लेकर फिलिप्पुस के साथ रहने लगा और चिन्ह और बड़े-बड़े सामर्थ्य के काम होते देखकर चकित होता था।
14 ᎨᏥᏅᏏᏛᏃ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎠᏂᏂ ᎤᎾᏛᎦᏅ ᏌᎺᎵᏱ ᏕᎤᎾᏓᏂᎸᏨ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ, ᏚᏂᏅᏎ ᏈᏓ ᎠᎴ ᏣᏂ ᎾᏍᎩ ᏧᏂᏩᏛᎲᏍᏗᏱ.
१४जब प्रेरितों ने जो यरूशलेम में थे सुना कि सामरियों ने परमेश्वर का वचन मान लिया है तो पतरस और यूहन्ना को उनके पास भेजा।
15 ᎾᏍᎩᏃ ᏭᏂᎷᏨ ᎤᎾᏓᏙᎵᏍᏔᏁ ᎨᎦᎵᏍᎪᎸᏓᏁᏗᏱ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ.
१५और उन्होंने जाकर उनके लिये प्रार्थना की ताकि पवित्र आत्मा पाएँ।
16 ᎥᏝᏰᏃ ᎠᏏ ᏳᏓᏑᏰ ᎩᎶ ᎾᏍᎩ ᎤᎷᏤᎸᎯ, ᏗᎨᎦᏬᏍᏔᏅᎯᏉ ᎤᏩᏒ ᎨᏎ ᏕᎤᏙᎥ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ.
१६क्योंकि पवित्र आत्मा अब तक उनमें से किसी पर न उतरा था, उन्होंने तो केवल प्रभु यीशु के नाम में बपतिस्मा लिया था।
17 ᎿᎭᏉᏃ ᏚᎾᏏᏔᏕᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎨᏥᏁᎴ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ.
१७तब उन्होंने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा पाया।
18 ᏌᏩᏂᏃ ᎤᏙᎴᎰᏒ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ ᎨᏥᏁᎲᎢ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎬ ᏓᎾᏏᏔᏗᏍᎬ ᎨᏥᏅᏏᏛ, ᎾᏍᎩ ᏕᎤᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎴ ᎠᏕᎸ,
१८जब शमौन ने देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो उनके पास रुपये लाकर कहा,
19 ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎠᏴ ᎾᏍᏉ ᏍᎩᏂᎥᏏ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ, ᎾᏍᎩ ᎩᎶ ᏥᏯᏏᏔᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏥᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ.
१९“यह शक्ति मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूँ, वह पवित्र आत्मा पाए।”
20 ᎠᏎᏃ ᏈᏓ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ; ᎠᏕᎸ ᏗᏣᏤᎵ ᏫᏓᎵᏗᏛᏓ ᏨᏒ ᎭᎵᏛᏗᏍᎬᎢ, ᏅᏓᎦᎵᏍᏙᏓ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᏰᎵᏉ ᎠᏕᎸ ᎬᏩᎯᏍᏙᏗ ᏤᎳ.
२०पतरस ने उससे कहा, “तेरे रुपये तेरे साथ नाश हों, क्योंकि तूने परमेश्वर का दान रुपयों से मोल लेने का विचार किया।
21 ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᏣᏤᎵ ᏳᏓᏑᏯ ᎯᎠ ᎠᏂ, ᏝᏰᏃ ᏚᏳᎪᏛ ᏱᎩ ᏣᎾᏫ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎠᎦᏔᎲᎢ.
२१इस बात में न तेरा हिस्सा है, न भाग; क्योंकि तेरा मन परमेश्वर के आगे सीधा नहीं।
22 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏲ ᎯᏰᎸᎾ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏍᎦᏅᎩ, ᎠᎴ ᎯᏯᏙᏓᎵᏍᏓᏏ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᎦᏰᏣᏙᎵᏍᏗᏉ ᏱᏂᎦᎩ ᏄᏍᏛ ᏣᎾᏫᏱ ᏣᏓᏅᏖᎸᎢ.
२२इसलिए अपनी इस बुराई से मन फिराकर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार क्षमा किया जाए।
23 ᎦᏙᎴᎣᏍᎦᏰᏃ ᏣᏚᎲ ᎤᏴᏍᏗ ᎠᏓᎪᎯ, ᎠᎴ ᎠᏍᎦᏂ ᏣᏓᎸᏍᏛᎢ.
२३क्योंकि मैं देखता हूँ, कि तू पित्त की कड़वाहट और अधर्म के बन्धन में पड़ा है।”
24 ᏌᏩᏂᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᏂᎯ ᎡᏍᏗᏔᏲᏏ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᎩᏙᎵᏍᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏃ ᏞᏍᏗ ᏌᏉᎤᏅ ᎯᎠ ᏥᏍᏗᏁᎩ ᏯᎩᎷᏤᎴᏍᏗ.
२४शमौन ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिये प्रभु से प्रार्थना करो कि जो बातें तुम ने कहीं, उनमें से कोई मुझ पर न आ पड़े।”
25 ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏂᏃᎮᎸ ᎠᎴ ᎤᎾᎵᏥᏙᏅ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏤᎵᎦ ᎤᎾᏨᏎ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏭᏂᎶᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏣᏖ ᏌᎺᎵᏱ ᎠᏁᎯ ᏚᏂᏚᎲ ᎤᎾᎵᏥᏙᏁ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ.
२५अतः पतरस और यूहन्ना गवाही देकर और प्रभु का वचन सुनाकर, यरूशलेम को लौट गए, और सामरियों के बहुत से गाँवों में सुसमाचार सुनाते गए।
26 ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯᏃ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏤᎵ ᎤᏁᏤᎴ ᏈᎵᎩ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᏔᎴᎲᎦ ᏧᎦᎾᏮ ᎢᏗᏢ ᏫᎶᎯ ᏂᎦᏅᏅᎢ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎨᏏᏃ, ᎾᎿᎭᎢᎾᎨ ᏥᎩ.
२६फिर प्रभु के एक स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस से कहा, “उठकर दक्षिण की ओर उस मार्ग पर जा, जो यरूशलेम से गाज़ा को जाता है। यह रेगिस्तानी मार्ग है।”
27 ᏚᎴᏅᏃ ᎤᏪᏅᏎᎢ; ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎠᏍᎦᏯ ᎢᏘᏱᏈ ᎡᎯ ᎠᏳᎾᎦ ᎠᏥᎸᏉᏗ ᎤᏁᏤᎸᎯ ᎬᏗᏏ ᎠᎨᏴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎢᏗᎣᏈ ᎠᏁᎯ ᎤᎾᏤᎵᎦ, ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᎠᏕᎸ ᎤᎦᏘᏕᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏓᏙᎵᏍᏔᏂᎸᎯ ᎨᏎ ᏥᎷᏏᎵᎻ,
२७वह उठकर चल दिया, और तब, कूश देश का एक मनुष्य आ रहा था, जो खोजा और कूशियों की रानी कन्दाके का मंत्री और खजांची था, और आराधना करने को यरूशलेम आया था।
28 ᎿᎭᏉᏃ ᎤᏨᏏᏗᏎᎢ, ᎠᎴ ᏓᏆᎴᎷᎯ ᎤᏣᎡᎢ, ᎠᎪᎵᏰᏍᎨ ᎢᏌᏯ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ.
२८और वह अपने रथ पर बैठा हुआ था, और यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ता हुआ लौटा जा रहा था।
29 ᎠᏓᏅᏙᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏈᎵᎩ; ᎾᎥ ᏫᎷᎩ ᏫᏯᎵᎪᎲᏏ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏓᏆᎴᎷ.
२९तब पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस से कहा, “निकट जाकर इस रथ के साथ हो ले।”
30 ᏈᎵᎩᏃ ᎾᎿᎭᏭᏗᏠᎸ ᎤᏛᎦᏁ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᎢᏌᏯ ᎠᎪᎵᏰᏍᎬᎢ, ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎢ; ᎰᎵᎦᎨᎵ ᎾᏍᎩ ᏥᎪᎵᏰᎭ?
३०फिलिप्पुस उसकी ओर दौड़ा और उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ते हुए सुना, और पूछा, “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?”
31 ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎦᏙ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ, ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎾᏆᏎᎮᎲᎾ ᏱᎩ? ᎤᏔᏲᎴᏃ ᏈᎵᎩ ᎤᏦᏗᏱ ᎠᎴ ᎢᏧᎳᎭ ᏧᏂᏗᏱ.
३१उसने कहा, “जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूँ?” और उसने फिलिप्पुस से विनती की, कि चढ़कर उसके पास बैठे।
32 ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎪᏪᎸ ᎠᎪᎵᏰᏍᎨᎢ; “ᎠᎦᏘᏃᎸᎩ ᎠᏫ ᎤᏃᏕᎾ ᎾᏍᎩᏯ ᏗᎯᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩᏯ ᎠᎩᎾ ᎠᏫ ᎡᎳᏪ ᏥᎨᏐ ᎬᏩᏍᏰᏍᎩ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᎥᏝ ᏳᏍᏚᎢᏎ ᎠᎰᎵ.
३२पवित्रशास्त्र का जो अध्याय वह पढ़ रहा था, वह यह था: “वह भेड़ के समान वध होने को पहुँचाया गया, और जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला,
33 ᎤᏲ ᏄᏛᎿᎭᏕᎬᎢ ᎠᏥᎩᎡᎸᎩ ᎤᏤᎵ ᎨᏒ ᏚᏳᎪᏛᎢ; ᎠᎴ ᎦᎪ ᏙᏓᎧᏃᎮᎵ ᏴᏫ ᎾᎯᏳ ᏤᎮ ᎠᏁᎯ? ᎬᏅᏰᏃ ᎤᏂᎩᏒᎩ ᎡᎶᎯ.”
३३उसकी दीनता में उसका न्याय होने नहीं पाया, और उसके समय के लोगों का वर्णन कौन करेगा? क्योंकि पृथ्वी से उसका प्राण उठा लिया जाता है।”
34 ᎠᏳᎾᎦᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏈᎵᎩ; ᎦᎪ ᎧᏃᎮᎭ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏂᎦᏪᏎ? ᎤᏩᏒᏍᎪ, ᏅᏩᏓᎴᎨ ᎩᎶᎢ?
३४इस पर खोजे ने फिलिप्पुस से पूछा, “मैं तुझ से विनती करता हूँ, यह बता कि भविष्यद्वक्ता यह किसके विषय में कहता है, अपने या किसी दूसरे के विषय में?”
35 ᏈᎵᎩᏃ ᎤᏍᏚᎢᏒ ᎠᎰᎵ, ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᎪᏪᎸ ᎤᎴᏅᎮᎢ ᎤᏃᎮᎮᎴ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᏥᏌ ᎤᎬᏩᎵ.
३५तब फिलिप्पुस ने अपना मुँह खोला, और इसी शास्त्र से आरम्भ करके उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया।
36 ᎠᎾᎢᏒᏃ ᏅᏃᎯ, ᎠᎹᏱ ᎤᏂᎷᏤᎢ. ᎠᏳᎾᎦᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎠᏂ ᎠᎹ, ᎦᏙ ᎠᎩᏲᏍᏙᏓᏁ ᎥᏆᏬᏍᏗᏱ?
३६मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे, तब खोजे ने कहा, “देख यहाँ जल है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है?”
37 ᏈᎵᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᏰᎵᏉ ᎢᏳᏃ ᏂᎦᎥ ᏣᎾᏫ ᏴᏗᎭ ᏲᎯᏳᎲᏍᎦ. ᎤᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᎪᎢᏳᎲᏍᎦ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏥ ᎨᏒᎢ.
३७फिलिप्पुस ने कहा, “यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो ले सकता है।” उसने उत्तर दिया, “मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है।”
38 ᎤᏁᏤᏃ ᏓᏆᎴᎷ ᎤᎴᏫᏍᏙᏗᏱ. ᎿᎭᏉᏃ ᏭᏂᎦᏐᎠᏏᎴ ᎠᎹᏱ ᎢᏧᎳ ᏈᎵᎩ ᎠᎴ ᎠᏳᎾᎦ, ᎾᏍᎩᏃ ᎠᎦᏬᎡᎢ.
३८तब उसने रथ खड़ा करने की आज्ञा दी, और फिलिप्पुस और खोजा दोनों जल में उतर पड़े, और उसने उसे बपतिस्मा दिया।
39 ᎠᎹᏱᏃ ᏧᎾᏓᏅᏒ ᏧᏂᎿᎭᎷᏒ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏓᏅᏙ ᎤᏘᎿᎭᏫᏛᎮ ᏈᎵᎩ, ᎠᏳᎾᎦᏃ Ᏺ ᎿᎭᏉ ᎣᏂ ᏳᎪᎮᎢ, ᎤᏩᏒᏰᏃ ᏩᎦᏛᎢ ᏭᎶᏎ ᎠᎵᎮᎵᎨᎢ.
३९जब वे जल में से निकलकर ऊपर आए, तो प्रभु का आत्मा फिलिप्पुस को उठा ले गया, और खोजे ने उसे फिर न देखा, और वह आनन्द करता हुआ अपने मार्ग चला गया।
40 ᏈᎵᎩᏍᎩᏂ ᎠᏥᏩᏛᎮ ᎠᏦᏓ; ᎠᎢᏒᏃ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎨ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᏂᎦᏛ ᏕᎦᏚᎲ ᎬᏂ ᏏᏌᎵᏱ ᏭᎷᏨ.
४०पर फिलिप्पुस अश्दोद में आ निकला, और जब तक कैसरिया में न पहुँचा, तब तक नगर-नगर सुसमाचार सुनाता गया।

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