< 2 מְלָכִים 3 >

וִיהֹורָ֣ם בֶּן־אַחְאָ֗ב מָלַ֤ךְ עַל־יִשְׂרָאֵל֙ בְּשֹׁ֣מְרֹ֔ון בִּשְׁנַת֙ שְׁמֹנֶ֣ה עֶשְׂרֵ֔ה לִיהֹושָׁפָ֖ט מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה וַיִּמְלֹ֖ךְ שְׁתֵּים־עֶשְׂרֵ֥ה שָׁנָֽה׃ 1
यहूदा के राजा यहोशापात के राज्य के अठारहवें वर्ष में अहाब का पुत्र यहोराम सामरिया में राज्य करने लगा, और बारह वर्ष तक राज्य करता रहा।
וַיַּעֲשֶׂ֤ה הָרַע֙ בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֔ה רַ֕ק לֹ֥א כְאָבִ֖יו וּכְאִמֹּ֑ו וַיָּ֙סַר֙ אֶת־מַצְּבַ֣ת הַבַּ֔עַל אֲשֶׁ֥ר עָשָׂ֖ה אָבִֽיו׃ 2
उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था तो भी उसने अपने माता-पिता के बराबर नहीं किया वरन् अपने पिता की बनवाई हुई बाल के स्तम्भ को दूर किया।
רַ֠ק בְּחַטֹּ֞אות יָרָבְעָ֧ם בֶּֽן־נְבָ֛ט אֲשֶׁר־הֶחֱטִ֥יא אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל דָּבֵ֑ק לֹא־סָ֖ר מִמֶּֽנָּה׃ ס 3
तो भी वह नबात के पुत्र यारोबाम के ऐसे पापों में जैसे उसने इस्राएल से भी कराए लिपटा रहा और उनसे न फिरा।
וּמֵישַׁ֥ע מֶֽלֶךְ־מֹואָ֖ב הָיָ֣ה נֹקֵ֑ד וְהֵשִׁ֤יב לְמֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ מֵאָה־אֶ֣לֶף כָּרִ֔ים וּמֵ֥אָה אֶ֖לֶף אֵילִ֥ים צָֽמֶר׃ 4
मोआब का राजा मेशा बहुत सी भेड़-बकरियाँ रखता था, और इस्राएल के राजा को एक लाख बच्चे और एक लाख मेढ़ों का ऊन कर की रीति से दिया करता था।
וַיְהִ֖י כְּמֹ֣ות אַחְאָ֑ב וַיִּפְשַׁ֥ע מֶֽלֶךְ־מֹואָ֖ב בְּמֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵֽל׃ 5
जब अहाब मर गया, तब मोआब के राजा ने इस्राएल के राजा से बलवा किया।
וַיֵּצֵ֞א הַמֶּ֧לֶךְ יְהֹורָ֛ם בַּיֹּ֥ום הַה֖וּא מִשֹּׁמְרֹ֑ון וַיִּפְקֹ֖ד אֶת־כָּל־יִשְׂרָאֵֽל׃ 6
उस समय राजा यहोराम ने सामरिया से निकलकर सारे इस्राएल की गिनती ली।
וַיֵּ֡לֶךְ וַיִּשְׁלַח֩ אֶל־יְהֹושָׁפָ֨ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֜ה לֵאמֹ֗ר מֶ֤לֶךְ מֹואָב֙ פָּשַׁ֣ע בִּ֔י הֲתֵלֵ֥ךְ אִתִּ֛י אֶל־מֹואָ֖ב לַמִּלְחָמָ֑ה וַיֹּ֣אמֶר אֶעֱלֶ֔ה כָּמֹ֧ונִי כָמֹ֛וךָ כְּעַמִּ֥י כְעַמֶּ֖ךָ כְּסוּסַ֥י כְּסוּסֶֽיךָ׃ 7
और उसने जाकर यहूदा के राजा यहोशापात के पास यह सन्देश भेजा, “मोआब के राजा ने मुझसे बलवा किया है, क्या तू मेरे संग मोआब से लड़ने को चलेगा?” उसने कहा, “हाँ मैं चलूँगा, जैसा तू वैसा मैं, जैसी तेरी प्रजा वैसी मेरी प्रजा, और जैसे तेरे घोड़े वैसे मेरे भी घोड़े हैं।”
וַיֹּ֕אמֶר אֵי־זֶ֥ה הַדֶּ֖רֶךְ נַעֲלֶ֑ה וַיֹּ֕אמֶר דֶּ֖רֶךְ מִדְבַּ֥ר אֱדֹֽום׃ 8
फिर उसने पूछा, “हम किस मार्ग से जाएँ?” उसने उत्तर दिया, “एदोम के जंगल से होकर।”
וַיֵּלֶךְ֩ מֶ֨לֶךְ יִשְׂרָאֵ֤ל וּמֶֽלֶך־יְהוּדָה֙ וּמֶ֣לֶךְ אֱדֹ֔ום וַיָּסֹ֕בּוּ דֶּ֖רֶךְ שִׁבְעַ֣ת יָמִ֑ים וְלֹא־הָיָ֨ה מַ֧יִם לַֽמַּחֲנֶ֛ה וְלַבְּהֵמָ֖ה אֲשֶׁ֥ר בְּרַגְלֵיהֶֽם׃ 9
तब इस्राएल का राजा, और यहूदा का राजा, और एदोम का राजा चले और जब सात दिन तक घूमकर चल चुके, तब सेना और उसके पीछे-पीछे चलनेवाले पशुओं के लिये कुछ पानी न मिला।
וַיֹּ֖אמֶר מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֑ל אֲהָ֕הּ כִּֽי־קָרָ֣א יְהוָ֗ה לִשְׁלֹ֙שֶׁת֙ הַמְּלָכִ֣ים הָאֵ֔לֶּה לָתֵ֥ת אֹותָ֖ם בְּיַד־מֹואָֽב׃ 10
१०और इस्राएल के राजा ने कहा, “हाय! यहोवा ने इन तीन राजाओं को इसलिए इकट्ठा किया, कि उनको मोआब के हाथ में कर दे।”
וַיֹּ֣אמֶר יְהֹושָׁפָ֗ט הַאֵ֨ין פֹּ֤ה נָבִיא֙ לַֽיהוָ֔ה וְנִדְרְשָׁ֥ה אֶת־יְהוָ֖ה מֵאֹותֹ֑ו וַ֠יַּעַן אֶחָ֞ד מֵעַבְדֵ֤י מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ וַיֹּ֔אמֶר פֹּ֚ה אֱלִישָׁ֣ע בֶּן־שָׁפָ֔ט אֲשֶׁר־יָ֥צַק מַ֖יִם עַל־יְדֵ֥י אֵלִיָּֽהוּ׃ 11
११परन्तु यहोशापात ने कहा, “क्या यहाँ यहोवा का कोई नबी नहीं है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछें?” इस्राएल के राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, “हाँ, शापात का पुत्र एलीशा जो एलिय्याह के हाथों को धुलाया करता था वह तो यहाँ है।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ יְהֹ֣ושָׁפָ֔ט יֵ֥שׁ אֹותֹ֖ו דְּבַר־יְהוָ֑ה וַיֵּרְד֣וּ אֵלָ֗יו מֶ֧לֶךְ יִשְׂרָאֵ֛ל וִיהֹושָׁפָ֖ט וּמֶ֥לֶךְ אֱדֹֽום׃ 12
१२तब यहोशापात ने कहा, “उसके पास यहोवा का वचन पहुँचा करता है।” तब इस्राएल का राजा और यहोशापात और एदोम का राजा उसके पास गए।
וַיֹּ֨אמֶר אֱלִישָׁ֜ע אֶל־מֶ֤לֶךְ יִשְׂרָאֵל֙ מַה־לִּ֣י וָלָ֔ךְ לֵ֚ךְ אֶל־נְבִיאֵ֣י אָבִ֔יךָ וְאֶל־נְבִיאֵ֖י אִמֶּ֑ךָ וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל אַ֗ל כִּֽי־קָרָ֤א יְהוָה֙ לִשְׁלֹ֙שֶׁת֙ הַמְּלָכִ֣ים הָאֵ֔לֶּה לָתֵ֥ת אֹותָ֖ם בְּיַד־מֹואָֽב׃ 13
१३तब एलीशा ने इस्राएल के राजा से कहा, “मेरा तुझ से क्या काम है? अपने पिता के भविष्यद्वक्ताओं और अपनी माता के नबियों के पास जा।” इस्राएल के राजा ने उससे कहा, “ऐसा न कह, क्योंकि यहोवा ने इन तीनों राजाओं को इसलिए इकट्ठा किया, कि इनको मोआब के हाथ में कर दे।”
וַיֹּ֣אמֶר אֱלִישָׁ֗ע חַי־יְהוָ֤ה צְבָאֹות֙ אֲשֶׁ֣ר עָמַ֣דְתִּי לְפָנָ֔יו כִּ֗י לוּלֵ֛י פְּנֵ֛י יְהֹושָׁפָ֥ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה אֲנִ֣י נֹשֵׂ֑א אִם־אַבִּ֥יט אֵלֶ֖יךָ וְאִם־אֶרְאֶֽךָּ׃ 14
१४एलीशा ने कहा, “सेनाओं का यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहा करता हूँ, उसके जीवन की शपथ यदि मैं यहूदा के राजा यहोशापात का आदरमान न करता, तो मैं न तो तेरी ओर मुँह करता और न तुझ पर दृष्टि करता।
וְעַתָּ֖ה קְחוּ־לִ֣י מְנַגֵּ֑ן וְהָיָה֙ כְּנַגֵּ֣ן הַֽמְנַגֵּ֔ן וַתְּהִ֥י עָלָ֖יו יַד־יְהוָֽה׃ 15
१५अब कोई बजानेवाला मेरे पास ले आओ।” जब बजानेवाला बजाने लगा, तब यहोवा की शक्ति एलीशा पर हुई
וַיֹּ֕אמֶר כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה עָשֹׂ֛ה הַנַּ֥חַל הַזֶּ֖ה גֵּבִ֥ים ׀ גֵּבִֽים׃ 16
१६और उसने कहा, “इस नाले में तुम लोग इतना खोदो, कि इसमें गड्ढे ही गड्ढे हो जाएँ।
כִּֽי־כֹ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה לֹֽא־תִרְא֥וּ ר֙וּחַ֙ וְלֹֽא־תִרְא֣וּ גֶ֔שֶׁם וְהַנַּ֥חַל הַה֖וּא יִמָּ֣לֵא מָ֑יִם וּשְׁתִיתֶ֛ם אַתֶּ֥ם וּמִקְנֵיכֶ֖ם וּֽבְהֶמְתְּכֶֽם׃ 17
१७क्योंकि यहोवा यह कहता है, ‘तुम्हारे सामने न तो वायु चलेगी, और न वर्षा होगी; तो भी यह नदी पानी से भर जाएगी; और अपने गाय बैलों और पशुओं समेत तुम पीने पाओगे।
וְנָקַ֥ל זֹ֖את בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה וְנָתַ֥ן אֶת־מֹואָ֖ב בְּיֶדְכֶֽם׃ 18
१८और यह यहोवा की दृष्टि में छोटी सी बात है; यहोवा मोआब को भी तुम्हारे हाथ में कर देगा।
וְהִכִּיתֶ֞ם כָּל־עִ֤יר מִבְצָר֙ וְכָל־עִ֣יר מִבְחֹ֔ור וְכָל־עֵ֥ץ טֹוב֙ תַּפִּ֔ילוּ וְכָל־מַעְיְנֵי־מַ֖יִם תִּסְתֹּ֑מוּ וְכֹל֙ הַחֶלְקָ֣ה הַטֹּובָ֔ה תַּכְאִ֖בוּ בָּאֲבָנִֽים׃ 19
१९तब तुम सब गढ़वाले और उत्तम नगरों को नाश करना, और सब अच्छे वृक्षों को काट डालना, और जल के सब सोतों को भर देना, और सब अच्छे खेतों में पत्थर फेंककर उन्हें बिगाड़ देना।’”
וַיְהִ֤י בַבֹּ֙קֶר֙ כַּעֲלֹ֣ות הַמִּנְחָ֔ה וְהִנֵּה־מַ֥יִם בָּאִ֖ים מִדֶּ֣רֶךְ אֱדֹ֑ום וַתִּמָּלֵ֥א הָאָ֖רֶץ אֶת־הַמָּֽיִם׃ 20
२०सवेरे को अन्नबलि चढ़ाने के समय एदोम की ओर से जल बह आया, और देश जल से भर गया।
וְכָל־מֹואָב֙ שָֽׁמְע֔וּ כִּֽי־עָל֥וּ הַמְּלָכִ֖ים לְהִלָּ֣חֶם בָּ֑ם וַיִּצָּעֲק֗וּ מִכֹּ֨ל חֹגֵ֤ר חֲגֹרָה֙ וָמַ֔עְלָה וַיַּעַמְד֖וּ עַֽל־הַגְּבֽוּל׃ 21
२१यह सुनकर कि राजाओं ने हम से युद्ध करने के लिये चढ़ाई की है, जितने मोआबियों की अवस्था हथियार बाँधने योग्य थी, वे सब बुलाकर इकट्ठे किए गए, और सीमा पर खड़े हुए।
וַיַּשְׁכִּ֣ימוּ בַבֹּ֔קֶר וְהַשֶּׁ֖מֶשׁ זָרְחָ֣ה עַל־הַמָּ֑יִם וַיִּרְא֨וּ מֹואָ֥ב מִנֶּ֛גֶד אֶת־הַמַּ֖יִם אֲדֻמִּ֥ים כַּדָּֽם׃ 22
२२सवेरे को जब वे उठे उस समय सूर्य की किरणें उस जल पर ऐसी पड़ीं कि वह मोआबियों के सामने की ओर से लहू सा लाल दिखाई पड़ा।
וַיֹּֽאמְרוּ֙ דָּ֣ם זֶ֔ה הָחֳרֵ֤ב נֶֽחֶרְבוּ֙ הַמְּלָכִ֔ים וַיַּכּ֖וּ אִ֣ישׁ אֶת־רֵעֵ֑הוּ וְעַתָּ֥ה לַשָּׁלָ֖ל מֹואָֽב׃ 23
२३तो वे कहने लगे, “वह तो लहू होगा, निःसन्देह वे राजा एक दूसरे को मारकर नाश हो गए हैं, इसलिए अब हे मोआबियों लूट लेने को जाओ।”
וַיָּבֹאוּ֮ אֶל־מַחֲנֵ֣ה יִשְׂרָאֵל֒ וַיָּקֻ֤מוּ יִשְׂרָאֵל֙ וַיַּכּ֣וּ אֶת־מֹואָ֔ב וַיָּנֻ֖סוּ מִפְּנֵיהֶ֑ם וַיָּבֹו־ (וַיַּכּוּ)־בָ֔הּ וְהַכֹּ֖ות אֶת־מֹואָֽב׃ 24
२४और जब वे इस्राएल की छावनी के पास आए ही थे, कि इस्राएली उठकर मोआबियों को मारने लगे और वे उनके सामने से भाग गए; और वे मोआब को मारते-मारते उनके देश में पहुँच गए।
וְהֶעָרִ֣ים יַהֲרֹ֡סוּ וְכָל־חֶלְקָ֣ה טֹ֠ובָה יַשְׁלִ֨יכוּ אִישׁ־אַבְנֹ֜ו וּמִלְא֗וּהָ וְכָל־מַעְיַן־מַ֤יִם יִסְתֹּ֙מוּ֙ וְכָל־עֵֽץ־טֹ֣וב יַפִּ֔ילוּ עַד־הִשְׁאִ֧יר אֲבָנֶ֛יהָ בַּקִּ֖יר חֲרָ֑שֶׂת וַיָּסֹ֥בּוּ הַקַּלָּעִ֖ים וַיַּכּֽוּהָ׃ 25
२५और उन्होंने नगरों को ढा दिया, और सब अच्छे खेतों में एक-एक पुरुष ने अपना-अपना पत्थर डालकर उन्हें भर दिया; और जल के सब सोतों को भर दिया; और सब अच्छे-अच्छे वृक्षों को काट डाला, यहाँ तक कि कीरहरासत के पत्थर तो रह गए, परन्तु उसको भी चारों ओर गोफन चलानेवालों ने जाकर मारा।
וַיַּרְא֙ מֶ֣לֶךְ מֹואָ֔ב כִּֽי־חָזַ֥ק מִמֶּ֖נּוּ הַמִּלְחָמָ֑ה וַיִּקַּ֣ח אֹ֠ותֹו שְׁבַע־מֵאֹ֨ות אִ֜ישׁ שֹׁ֣לֵֽף חֶ֗רֶב לְהַבְקִ֛יעַ אֶל־מֶ֥לֶךְ אֱדֹ֖ום וְלֹ֥א יָכֹֽלוּ׃ 26
२६यह देखकर कि हम युद्ध में हार चले, मोआब के राजा ने सात सौ तलवार रखनेवाले पुरुष संग लेकर एदोम के राजा तक पाँति चीरकर पहुँचने का यत्न किया परन्तु पहुँच न सका।
וַיִּקַּח֩ אֶת־בְּנֹ֨ו הַבְּכֹ֜ור אֲשֶׁר־יִמְלֹ֣ךְ תַּחְתָּ֗יו וַיַּעֲלֵ֤הוּ עֹלָה֙ עַל־הַ֣חֹמָ֔ה וַיְהִ֥י קֶצֶף־גָּדֹ֖ול עַל־יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּסְעוּ֙ מֵֽעָלָ֔יו וַיָּשֻׁ֖בוּ לָאָֽרֶץ׃ פ 27
२७तब उसने अपने जेठे पुत्र को जो उसके स्थान में राज्य करनेवाला था पकड़कर शहरपनाह पर होमबलि चढ़ाया। इस कारण इस्राएल पर बड़ा ही क्रोध हुआ, इसलिए वे उसे छोड़कर अपने देश को लौट गए।

< 2 מְלָכִים 3 >